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तो अच्छा है
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यादों के चिराग़ न जलाओ तो अछा है।
पुराने ज़ख्म ना कुरेतो तो अच्छा है।।
रात सुहानी है आज ,शायद सो पाऊंगा।
आज तुम सपने में ना आओ तो अच्छा है।।
आज मुद्दतों बाद तिरे घर तले से गुज़र होगी ।
बरामदे में गर तु नजर आऐ तो अच्छा है।।
जिन्दगी तिरे साथ निभ जाए ये ख्वाइश है दिल से।
तुम भी अगर मिरा साथ निभाओ तो अच्छा है।।
तमन्ना है कि इक रोज़ इश्क है ये कह दूं तुम्हें।
सुनकर तुम मुह ना मोड़ों तो अच्छा है।।
तिरी यादों के सहारे जिन्दा रहा अब तक।
तुम भी मुझे ना भुलाओ तो अच्छा है।।
बुधवार, ०६/०३/२०२४ , ४:०० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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