जब तुम पास मेरे नहीं होती सोचता हूँ तुम्हे अक्सर
तेरी यादों की छांव तले होता है मेरे दिल का बसर
मै जानता हु के तुम भी मुझे मेरे गीतों में ढूंढ़ती हो
मै जानता हु मेरे प्यार का जो तुम पर हुआ है असर
क्या बताऊँ मैं किसी को के दिल क्यों है परेशान
अब जन्दगी जीना तुम्हारे बिना मुझे नहीं आसान
रात रात भर अब मुझे नींद जरा भी आती नहीं
तुम बिन जैसे ऐ हमदम जिन्दगी हो गयी वीरान
न जाने कहा तलख चलेगा हमारे प्यार का सफर
चाह उठी दिलसे कभी खत्म न हो सपनों की डगर
जैसे नदी की धारा मुसलसल बहती है उम्र भर
साथ चलता रहे यूही हमारा और जिन्दगी हो बसर
मन है के जा बसा है किसी अंजान एक नगर में
न जाने कौन से सपने लेकर बैठा है निगाहों में
मैं एक प्रेम गीत गाऊ,गाकर मैं तुम को सुनाऊ
देखो कैसे दिल जला है मेरा बिरहा की चिता में
ये पल जो रुके हुए है हम दोनों के दरमियाँ
जिए इसी में पूरी जिन्दगी और क्या करू बयाँ
दुनियाँ का दस्तूर है जो मिलते वही बिछड़ते है
जाने कब वक्त चल पड़े और बढे अपनी दूरियाँ
शनिवार , १६/०३/२०२४ , १२:१० पं
अजय सरदेसाई (मेघ)
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