किनारा: इस १९७७ की फिल्म का एक प्रसिद्द गाना "नाम गुम जाएगा" जिसके गीतकार है गुलज़ार साहब ,संगीतकार है राहुलदेव बर्मनजी और जिसे स्वरबद्ध (गाया है ) किया है भूपेंदर जी
ने उसीसे प्रेरित होकर मैंने कुछ और अंतरों का इज़ाफ़ा करने की कोशिश की है I अच्छा लगे तो जरूर सराहना करे और कॉमेंट करे I
दे राहा सदा कोई,क्या वो तुम नाही
दिख राहा है जो, क्या वो सच नाही
मैं भी रुबरु कभी,तुमसे हुआ नाही
मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे
पर्बतों पे सर्द हवा की एक लहर चल रही
छाव धरे आसमाँ से घटा साथ चल रही
समां है के इस में कैसे कोई दिल उदास हो
मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे
गुल अगर खिले कोई किसी डाल पर
भवरे की नज़र रही सदा बस गुल पर
डाल
की उसे कहीं कब रही खबर
मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे
ओ……….
शुक्रवार , १५/०३/२०२४ , १२:२५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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