प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Thursday 8 February 2024

दिल से प्रपोज करते हैं


 

दिल से हमारे पुछो तो हम तुम्हें कितना लाईक करते हैं।

अगर इजाजत हो तो हम तुमको दिल से प्रपोज करते हैं ।।१।।


आरज़ू हैं तिरी के तु मुझे मिल जाए एक दिन।

तिरे लिए ये हम जमीन आसमान एक करते हैं ।।२।।


इस दिल में तेरे प्यार के सिवा और क्या रखा है

रात रात भर बेदार तिरा ही इंतजार करते हैं।।३।।


अंदाज--भुहब्बत पर मिरे कुछ तो गौर कीजिए।

दुनियां में एक तिरे सिवा हम किसे प्यार करते हैं।।४।।


गर अब भी नहीं यकीन मुझ पर तो आंखों में मिरी देखिए।

दिल थाम के फिर कहिए हमसे इश्क नहीं करते हैं।।५।।

 

गुरुवार,//२०२४ , :१९ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

 

बेदार = बिना नींद के ,sleepless

अंदाज--भुहब्बत  = style of love

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