प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Thursday 15 February 2024

ये दिल तुम्हारे दोस्ती का मारा है दोस्तों


 

ये दिल तुम्हारे दोस्ती का मारा है दोस्तों।

मेरी जिन्दगी में दोस्तों का सहारा है दोस्तों।।


हर बात पर आपके नाम का नारा है दोस्तों।

मुझे तुम्हारे प्यार ने दुलारा है दोस्तों।।


ज़िन्दगी बड़ी ख़ुशी से गुज़र रही है दोस्तों

मेरी ज़िन्दगी को दोस्तों ने संवारा है दोस्तों।।


कल जो हुआ वो होकर गुज़र गया दोस्तों

आगे जो होगा आपकी मेहरबानियां दोस्तों ।।


दोस्ती मेरे ज़िन्दगी की है ज़िन्दगी दोस्तों।

सब जानते है की मैं अभी हुं कुवारा दोस्तों।।

 

गुरुवार , १५//२०२४ , :०७ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

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