प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Thursday 15 February 2024

शमा पर जलने के लिए एक परवाना आएगा


 

वक्त के बहाव में देखलेना ये फ़साना भी आएगा

तुम्हारा जिक्र जब भी होगा मेरा भी नाम आएगा ।।


आसमाँ मे है एक तारा जो मेरा मुर्शिद है।

जब जब रात होगी वो राह दिखाने आएगा।।


मुहब्बत में बड़े ख़तरे है संभलके प्यार करना।

दिल अगर टूट जाए फिर कौन जोड़ने आएगा।।


बहुत वक्त गुज़र गया तेरी कोई खबर नहीं।

बहुत वक्त से इंतजार है कब पयाम आएगा ।।


 होंगे जब भी चराग़ रौशन तिरी महफ़िल मैं

शमा पर जलने के लिए एक परवाना आएगा।।

 

गुरुवार , १५//२०२४ , :५७ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


फ़साना = कहानी

मुर्शिद = मार्गदर्शक , guide

महफ़िल = सभा , gathering

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