प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Sunday 31 December 2023

ज़िन्दगी

 

तुने अब तक मुझे सिर्फ दर्द--मायुसी ही दि है ज़िन्दगी।

नए साल में कुछ यादगार पल और खुशियां भी ले आना ।।१ ।।


 ज़िन्दगी तु अब जरा मुझसे तमीज से पेश आना

शिकायत नही इल्तेजा है मेरी जरा नजाकत से आना ।।२ ।।


वक्त को कहाँ पता है तु उसे कहाँ ले जा रही है ज़िन्दगी

इस बार मुझको बता उसे कहाँ किस जगह है ले आना ।।३ ।।


ज़िन्दगी तुझे ढुंढता फिर रहा हुं मै तिरा पता है कहाँ।

कहदे मिरे कानों में के परस्तिश के लिए कहाँ है आना।।४ ।।


ज़िन्दगी तु सोचती है के मैं जिन्दा हुं लेकिन ये सच नहीं

बता जिन्दगी के तेरे लिए मेंरी लाश को कहाँ है आना ।।५ ।।

 

परस्तिश = पूजा, आराधना, इबादत.

 

रविवार दिनांक ३१/१२/२३ ,:१८ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


Thursday 28 December 2023

जब तुम साथ हो

 


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जब तुम साथ हो

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जिन्दगी नहीं तनहा मेरी तुम जो साथ हो

तुम हकीकत में सही तो क्या, ख़्वाबो में साथ हो ।।१।।🧚

 

वो वक्त ही क्या जो तेरे बिन गुजार लिया जाए

हर लम्हा हर पल जिन्दगी, तुम मेरे साथ हो।।२।।🧚

 

बिते हुए हर पल मैने अपने पहलु में संभाल रखे हैं

बस उन पलों की यादें भी नहीं, जिन मे तुम साथ हो।।३।।🧚

 

गुलशन में जो फुलों की महक है तुमसे है

वर्ना कौन इस गुलिस्तां को पुछे जो तुम साथ हो ।। ।।🧚

 

मैं तो गुमनामी के गलियारों में टहल रहा था अकेला

अब मेरी भी चर्चा हो रही है शायरी, जब तुम साथ हो।।५।।🧚

 

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गुरुवार दिनांक २८/१२/२३ , :१२ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

 

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Monday 25 December 2023

सिर्फ चांदनी रह जाएंगी



हात में फिर भी मेरे यह बेड़ियाँ रह जाएंगी   

तेरे बाद भी दिल में तेरी यादें रह जाएंगी ।। ।।


मुम्किन ये भी है के मैं एक दिन भुल जाऊंगा तुम्हें

यहाँ फिर भी अपने प्यार कि निशानियाँ रह जाएंगी ।। ।।

  

मै जानता हूं के तुझे मुझसे अब कोई नाराज़गी नहीं    

तिरी तीखीं नजरों की फिर भी तल्खियां तो रह जाएंगी ।। ।।


हम तिरी ऑंखो में जानम इस कदर दूब जाएंगे

के हमारे होने की कोई निशानियाँ रह जाएंगी ।। ।।

  

इश्क में अपने फांसकर मार ही डाला आपने मुझे   

मुर्दा तो तैयार है,जनाजे कि तैयारियॉँ बस रह जाएंगी ।। ।।


मेरी दिल--जानाँ तु यु मुझे बर्बाद कर।

तेरी बद-सलुखी की फिर कहानियाँ रह जाएंगी ।। ।।


आप अगर अब मिलने को ना आए तो हम रुठ जाएंगे 

ये हो के माहताब गुम हो और सिर्फ चांदनी रह जाएंगी ।।   ।।


ज़रा सा तो बहल जाने दे मेरे इस दिल--नादाँ को

ये हो के दिल टुटने कि बस आवाजें ही रह जाएंगी ।। ।।

 



रविवार , दिनांक २४ दिसंबर २०२३ , :५०  PM
अजय सरदेसाई (मेघ)

Thursday 21 December 2023

तिरे ऑंखो की शबनम


तिरी ऑंखो की शबनम गर मेरे होंठों पर होती

तिरी ऑंखे नम ना होती मिरी प्यास बुझ गई होती ।।


शिद्दत से अगर झांको मिरी ऑंखो में कभी हसिन

ऑंखो के रास्ते दिल की गहराईयों मे उतर गयी होती ।।


ये जो मज्मा सा लगा है तेरे दर के सामने अभी

ना होता जो तुने हुस्न कि यु नुमाइश कि होती ।।


मैंने मोहब्बत से तौबा की होती ज़ालिम

तुने मुझसे गर इश्क में बेवफाई की होती ।।


जिन्दगी भर मैंने सनम तिरी इबादत की होती 

इनायत भरी बस इक नज़र तुने मुझपर डाली होती ।।

 

गुरुवार दिनांक २१/१२/२३ , :१५ PM

अजय सरदेसाई (मेघ )