प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Thursday 28 December 2023

जब तुम साथ हो

 


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जब तुम साथ हो

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जिन्दगी नहीं तनहा मेरी तुम जो साथ हो

तुम हकीकत में सही तो क्या, ख़्वाबो में साथ हो ।।१।।🧚

 

वो वक्त ही क्या जो तेरे बिन गुजार लिया जाए

हर लम्हा हर पल जिन्दगी, तुम मेरे साथ हो।।२।।🧚

 

बिते हुए हर पल मैने अपने पहलु में संभाल रखे हैं

बस उन पलों की यादें भी नहीं, जिन मे तुम साथ हो।।३।।🧚

 

गुलशन में जो फुलों की महक है तुमसे है

वर्ना कौन इस गुलिस्तां को पुछे जो तुम साथ हो ।। ।।🧚

 

मैं तो गुमनामी के गलियारों में टहल रहा था अकेला

अब मेरी भी चर्चा हो रही है शायरी, जब तुम साथ हो।।५।।🧚

 

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गुरुवार दिनांक २८/१२/२३ , :१२ PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

 

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