प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Saturday 16 December 2023

नाखुदा को मनाना सीखिए


 

जब कुछ हो कहने को तो चुप भी रहना सीखिए I

कोई और अगर कुछ कहता है तो सुनना भी सीखिए II


आखें भी बातें करती है आँखों को भी पढ़ना सीखिए I

आँखे पढ़ना गर आता है तो आँखों से बोलना भी सीखिए II


एक उम्र काफी नहीं किसी को दिलसे अगर समझना है I

किसी के साथ गर मुमकिन है एक उम्र बिताना सीखिए II


चाहत में अक्सर मैंने दिलों को टूटते बिखरते देखा है I

दिल टुटके बिखर जाये भी तो हँसके समेटना सीखिए II


ज़िन्दगी में जाने क्यों अक्सर हसीँ पल खो जाते है I

यूँ कुछ पल खो जाये भी तो ख़ुशी से जीना सीखिए II


ये दुनिया है जन्नत नहीं यहाँ सिर्फ लेनदेन चलता है I

कुछ पाने के लिए कुछ देना है ये महारत सीखिए II


ये जीवन एक नैया है और ज़िन्दगी है एक भवसागर I

पाना है जो साहिल को तो नाखुदा को मनाना सीखिए II 

 

शनिवार १६/१२/२०२३ , ०३:५५

अजय सरदेसाई (मेघ)


महारत = skill

नाखुदा = boatman , sailor

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