प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Wednesday 6 March 2024

तो अच्छा है


 

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🌹      तो अच्छा है     🌹

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यादों के चिराग़ जलाओ तो अछा है।
पुराने ज़ख्म ना कुरेतो तो अच्छा है।।

रात सुहानी है आज ,शायद सो पाऊंगा।
आज तुम सपने में ना आओ तो अच्छा है।।

आज मुद्दतों बाद तिरे घर तले से गुज़र होगी
बरामदे में गर तु नजर आऐ तो अच्छा है।।

जिन्दगी तिरे साथ निभ जाए ये ख्वाइश है दिल से।
तुम भी अगर मिरा साथ निभाओ तो अच्छा है।।

तमन्ना है कि इक रोज़ इश्क है ये कह दूं तुम्हें।
सुनकर तुम मुह ना मोड़ों तो अच्छा है।।

तिरी यादों के सहारे जिन्दा रहा अब तक।
तुम भी मुझे ना भुलाओ तो अच्छा है।।

बुधवार, ०६/०३/२०२४ , :०० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

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