इश्क में कांटों पर चलकर देख लिया हमनें।
दर्द तुने दिया उसे दवा मान पी लिया हमनें।।१।।
तिरी निली आंखों को दरिया मान लिया हमनें।
डूबकर उनमें अपनी प्यास को बुझा लिया हमनें।।२।।
मुहब्बत में हमेशा शिकस्त ही मिली है मुझे ।
लाख कोशिशों से दिल को संभाला है हमनें ।।३।।
तुम मेरे साथ नहीं ऐ बेवफा तो क्या।
तेरी यादों को दिल में सजाया है हमनें ।।४।।
धुप से बाद-ऐ-सबा गर्म हो गयी 'मेघ ' ।
तेरे गेसुओं को बादल बना लिया हमनें ।।५।।
अजय सरदेसाई (मेघ)
बुधवार , ७ /२/२०२४ , ६:३० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
बाद-ऐ-सबा = सुबह की ठंडी हवा , pleasant morning wind
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