सोचता हूँ कि लिखूं उन को तो क्या बात लिखूं ।
प्यार लिखूं या सलाम लिखूं ,ख़त में क्या जज़्बात लिखूं।।१।।
दिल से एक सदा उठती है मगर जुबाँ पर नहीं आती।
सोचता हूँ कि आज मौका है तो क्या वहीं हालात लिखूं ।।२।।
बातें तो बहुत है लिखनी मुझे मगर उलझन में हूँ ।
ये लिखूं या वो लिखूं, मैं पहले कौन सी बात लिखूं।।३।।
इक झंकारकी सी जो थरथरी है तन में।
उसी तर्ज़ पे क्या मैं तुम्हें एक गीत लिखूं।।४।।
एक नग़मा एक ग़ज़ल जो अक्सर दिल गुनगुनाए।
सोचता हूँ के आज कागज़ पर वही इसबात लिखूं।।५।।
गुरुवार , १५/२/२४ , ७:५९ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
इसबात = प्रमाणित करना , provide proof , prove
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