खड़ा हूँ मैं आज भी
वहीं।
मैं
कभी तुम्हे भूला नहीं।।१।।
उम्र
भर तेरी याद आती रहीं।
क्या
हुआ गर तुम साथ नहीं।।२।।
जहाँ
भी जाऊ तिरी ऑंखें पिछा करती है।
तसव्वुर
से मेरी तू दुर कभी रहती नहीं।।३।।
धुंडता
फिरता हूँ मैं तुझे शाम-ओ-सहर।
जाने
फिर भी क्यों तुम मिलती नहीं।।४।।
तिरी
वफाएं मुझे न मिली है तो क्या।
जानता
हूँ मैं के तुम बेफवा नहीं।।५।।
शनिवार, १७/२/२०२४, ०७:३७ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
No comments:
Post a Comment