वक्त जो साथ बिताया हमने।
आंखों में है बसाया हमनें।।१।।
तुम जब छोड़ गए मुझको।
यादों का सहारा लिया हमनें।।२।।
इरफ़ान मेरी बंदगी का तुझे न सही।
इबादत में तेरी हर पल गुज़ारा हमनें।।३।।
शुक्रिया हमारा इस बात पर तो कीजिए।
चराग़ बनकर तिरा खुदिको जलाया हमनें।।४।।
ग़म इस बात का नहीं के तुम बेवफा निकले।
ग़म इस बात का है के तुझे न पहचाना हमनें।।५।।
बुधवार, ७/२/२०२४, ०९:०९ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
इरफ़ान = ज्ञान
बंदगी = अधीनता , आराधना
No comments:
Post a Comment