प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Tuesday 7 November 2023

तलाश हैं


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@@   तलाश हैं    @@

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इस जमीं पर आसमाँ की तलाश है ।
इस दिवाने को प्यार की तलाश है ।।

मैं तन्हा हुं और तन्हा ये सफर भी हैं।
राह में किसी हमसफ़र की तलाश हैं।।

दिल पर जो गुज़री है, कैसे किसे बताएं।
ज़िन्दगी में किसी हम-सर की तलाश हैं।।
 
इन सुनी सी राहों में , कहीं तो कभी तो हम मिलेंगे ।
जाने क्यु तुझे मेरी और मुझे तेरी , ऐ रहबर , तलाश हैं।।

वो जो गर्द निली आंखें है तेरी , बड़ी गहरी हैं।
डूब न जाए कहीं, एक गोताखोर की तलाश हैं ।।

ये जो चिलमन है तेरी , दुष्मन है हमारी।
तुझे बेनकाब देखु , बड़ी उम्र से तलाश हैं।।


मंगलवार ,७/११/२३ , ४:२४ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)

 

हमसफ़र = साथ यात्रा करनेवाला
हम-सर = समान, बराबर का, बराबर वाला
रहबरराह दिखाने वाला; मार्गदर्शक



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