प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Friday 3 November 2023

दिल जलते हैं


जब उतरे रात ऑंगन में तो दिप जलते हैं।
जब इश्क उतरे दिल में तो दिल जलते हैं।।

कत्ल खंजर ने नहीं आंखों ने किया हैं।
अंदाज-ए-कत्ल  देखकर कामिल जलते हैं।।

तेरे हुस्न-ओ-रंग के क्या कहने।
तुझे देखकर जमिल जलते हैं।।

जब हवा तिरे गेसू लहराते हुए चले।
देखकर आसमॉं से ख़मील जलते हैं।।

तु जिस के फ़िराक़(१) में गुम हैं "मेघ" रातभर ।
रकिब उसकी फ़िराक़(२) में शामिल जलते हैं।।

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ख़मील = बादलों का झुंड

जमिल= अत्याधिक सुंदर

क़ामिल = परिपुर्ण

शामिल = एकत्रित 

रकिब = प्रतिस्पर्धी,प्रेमीका का दुसरे प्रेमी 

फ़िराक़(१) = ख़याल

फ़िराक़(२) = विरह, जुदाई 

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शुक्रवार,०३/११/२०२३, ०३:४० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

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