दाग दिल के मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।
घाव ये अंदर हैं, उन्हें कैसे दिखाऊ।।
घाव ये अंदर हैं, उन्हें कैसे दिखाऊ।।
रूह में अपनी दर्द छुपाया मैंने।
किसी और को इन्हें कैसे दिखाऊ।।
तुम्हारे बिना हर खुशी अधूरी लगती है।
आँखों में भरा समंदर मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।।
वक़्त के दरिया में बहती रही चाहत मेरी।
हर लहर की निशानी मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।।
मेघ बरसता है बरसात बनकर।
उन एहसासों को मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।।
बुधवार,३/९/२५ ,८:२५ AM
अजय सरदेसाई -मेघ
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