मतला:
दिल के बदले दिल देते हो,
साहुकारी आपकी।
आज के बाद हम भी करेंगे,
तरफदारी आपकी।।
शेर २:
ऑंखों में सिमट लिया,वल्लाह, गिरफ़्तारी आपकी।
हिज़्र की रातों में देखी न जाए, बेकरारी आपकी।।
शेर ३:
आप से सिखे हमने जिंदगी के फलसफे।
आप ही से सिखी दिल-अज़ारी आपकी।।
शेर ४:
आपका नाम लिया तो रौशन शाम हो गई।
रात रात भर हम जागे,चाँदकारी आपकी।।
मक़ता:
मेघ कहता है इस ग़ज़ल में,
है आपका ही असर।
शेरों में लफ़्ज़ मीरे है जरूर, शाइरी आपकी।।
सोमवार, १५/९/२५ , ९:०५ PM
अजय सरदेसाई -मेघ
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