पूरी क़ायनात तलाश ली, मुझे कोई अकाम न मिला।
मेरे अलावा, मुझे कोई नाकाम न मिला।।
मेरे अलावा, मुझे कोई नाकाम न मिला।।
ज़िंदगी मैंने तुझे बे-तहाशा चाहा।
मुझे कोई अच्छा अंजाम न मिला।।
तेरे वादों की झूठी तसल्ली पे यक़ीं भी किया।
मिरे दिल को फिर भी आराम न मिला।।
आशियाँ टूट गया आँधीयों की हवाओं से।
उड़ते मौसम में कोई मुक़ाम न मिला।।
'मेघ' हार गया इश्क़ की जनिब-ए-मंज़िल।
उसको पुकारा दिल से मगर कोई पैगाम न मिला।।
मंगलवार, २/९/२५ , ९:१३ PM
अजय सरदेसाई -मेघ
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