जब जब बहार आई,और सावन ने ली अंगड़ाई,
मुझे तुम याद आए.....
कोयल कहीं जो चहकी, और हवा गीत गुनगुनाए,
मुझे तुम याद आए...
याद है मुझे अब भी बचपन के वो तराने,
वो तितलीयों के पिछे हम दौड़ते थे दिवाने,
जब जब आसमाँ में रंगों के बिखरे साए,
मुझे तुम याद आए.....
बचपन के वो खिलौने जो कभी न भुल पाए,
यादों की दराजों से,वो मुझे बहुत बुलाए,
बचपन की वो सहेली,जो न अब नजर आए,
मुझे तुम याद आए....
रविवार,२०/७/२५, १२:५६ PM
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