मतला:
कोई हसीं हो तुम जैसा,ये तो बहुत मुश्किल है
मगर I
हम जैसा कोई आशिक़ हो,मुमकिन ये भी नहीं II
उस पर्दानशीं को बेपर्दा करना बहुत मुश्किल है मगर I
उसका इंतजार न हो ,मुमकिन ये भी नहीं II
चांदनी फलक पर न हो ,ये तो बहुत मुश्किल है
मगर I
तुम तस्सवुर में न रहो ,मुमकिन ये भी नहीं II
ज़िन्दगी कट जाये तुम बिन ,ये तो बहुत मुश्किल है
मगर I
बिना इश्क़ किये हम फ़ना हो ,मुमकिन ये भी नहीं II
मक़्ता:
'मेघ' ये ग़ज़ल उस तक न पहुंचे, ये तो बहुत मुश्किल है
मगर I
तिरे दर्द से वो वाक़िफ़ न हो ,मुमकिन ये भी नहीं II
मंगलवार , २९/७/२५ , ०२:३० PM
अजय सरदेसाई - मेघ
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