कुछ नए कुछ पुराने
यादोंके काफिले सजा रखें है।
मैंने इस महफिल में सितारे सजा रखें है।।
चराग़ जो जले है यहाँ वो दिलों के है।
हर लौ के लिए पतंग तैयार रखें है ।।
शनिवार, १९/७/२५, ७:४५ PM
अजय सरदेसाई - मेघ
इस महफ़िल में हम नहीं तो क्या, मेरे लिखे अशआर तो हैं,
हर मिसरे में कुछ रौशनी,
कुछ गहरे इज़हार
तो हैं।
इन्हें पढ़िए दिल की गहराइयों से,न कि महज़ जुबां से,
महफ़िल में हम न सही, अक्स हमारा इन अशआरों में
तो है ।।
शनिवार, १९/७/२५ , ८:१६ PM
अजय सरदेसाई -मेघ
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