(बहर: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन)
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छोड़कर ए जान मुझे तू कहाँ
निकली है।
मेरी साँसों से
सही तू तसव्वुर से कहाँ निकली है।।
परिंदों ने
घोंसले छोड़कर आसमां पकड़ लिया है।
घोंसलों से मगर
आह नहीं, वाह निकली है।।
तुझे भुलाने से
पहले ही मेरी पहचान चली जाए।
सच कहता हूँ, क़सम से — मेरे दिल से ये ख़्वाहिश निकली है।।
लफ़्ज़ों का क्या
है, उनसे मिसरे बनते हैं।
मगर मिसरों से जो
ये ग़ज़ल बनी है, वो दिल से निकली है।।
ज़िंदगी किस घड़ी
में क्या हो कौन जानता है।
जिस घड़ी आँखें
मिलीं — वल्लाह, वो क्या घड़ी निकली है।।
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