प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Sunday 21 July 2024

तलाश है


किसी हमसफ़र की तलाश है।

मुझे एक रहबर की तलाश है।। रहबर = राह दिखाने वाला

 

अजनबी राहों पर चलते हुए

किसी मानूस की तलाश है।। मानूस = परिचित

 

जो आजतक कहीं मिली नहीं

उस नायाब चिज की तलाश है।। नायाब = अनोखी वस्तू

 

जिसे बे-पनाह चाहत हो मुज़से बे-पनाह = बहुत ज़्यादा

उस मेहबूबा की तलाश है।।

 

फिर धूड़ लाये जो मुज़से खो गया

ऐसे मेहरबान की मुझे तलाश है।। मेहरबान = अनुग्राहक

 

अंधेरे में जो निशान--राह हो निशान--राह = रस्ते का पता

मुझे ऐसे चिराग़ की तलाश है।।

 

मुज़को मुश्किलों से जो निकाल दे  

किसी ऐसे निगेहबान की तलाश है।। निगेहबान = रखवाला



रविवार  , २१/७/२०२४  ०६:३० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)

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