जब उतरे रात ऑंगन में तो दिप जलते हैं।
जब इश्क उतरे दिल में तो दिल जलते हैं।।
जब इश्क उतरे दिल में तो दिल जलते हैं।।
कत्ल खंजर ने नहीं आंखों ने किया हैं।
अंदाज-ए-कत्ल देखकर कामिल जलते हैं।।
तेरे हुस्न-ओ-रंग के क्या कहने।
तुझे देखकर जमिल जलते हैं।।
जब हवा तिरे गेसू लहराते हुए चले।
देखकर आसमॉं से ख़मील जलते हैं।।
तु जिस के फ़िराक़(१) में गुम हैं "मेघ" रातभर ।
रकिब उसकी फ़िराक़(२) में शामिल जलते हैं।।
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ख़मील = बादलों का झुंड
जमिल= अत्याधिक सुंदर
क़ामिल = परिपुर्ण
शामिल = एकत्रित
रकिब = प्रतिस्पर्धी,प्रेमीका का दुसरे प्रेमी
फ़िराक़(१) = ख़याल
फ़िराक़(२) = विरह, जुदाई
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शुक्रवार,०३/११/२०२३, ०३:४० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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