जिस राह में जिस मोड़ पर मिले थे हम ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो प्यार वो हम में तुम में जो करार था ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो जुनून वो कछ हासिल करने के हौंसले ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो तुझे देखकर मुस्कान मेरी और वो फिर तेरा इतराना ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो बिच दूरियों की चुभन वो मिलने की ख़ल्वते ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो रात को तेरा छत पे आना वो महताब सलोना ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो चांदनी की रौशनी वो आँखों के इशारे तेरे ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो किताबों में मिलें सुर्ख फूल वो चिट्ठियों के सिलसिले ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो तेरा चलते चलते फिसलना वो मेरा तुझे संभालना ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो लरजती जुल्फों से टपकता पानी वो सावन के महीने ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो धड़कनों की धकधक वो लरजती सांसों की गुंजन ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो तेरा झूठ-मूठ का रूठना वो फिर मेरा तुझे मनाना ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो जो खायीं थी कसमे वो जो किये थे वादें ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
वो टूटी रेशम की डोर वो तेरा मुझे भुलाना ।
क्या तुम भूल गयी के तुम्हें याद हैं ।।
शनिवार , ११/११/२०२३ , ०३:१५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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