मैं अकेला ही चला जा रहा था अपनी राह पर ।
न कोई साथ चला न कोई कारवाॅं बना ।।
मैं अकेला ही फिर भी चलता रहा राह पर ।
मेंरी किस्मत पर हंसे लोग मुझ पर एक अफसाना बना ।।
तेरे इंतज़ार में देर से खड़ा हु यहॉं पर।
चल अब आके मिल तु कोई और बहाने न बना ।।
जिन्दगी तो चलती रही युही बेगानो सी ।
दिल को छु गए बहुत मगर कोई अपना न बना ।।
सलाह तो हर कोई देता रहा जो मीला।
इस दिवाने का मगर कोई रहबर न बना ।।
सोमवार २०/११/२०२३ , ०८:३० PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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