मतला:
जज़्बात हर कहीं ज़ाहिर करके जाया नहीं करते।
हुस्न बेवफ़ा है इसपर वफ़ाएं जाया नहीं करते।।
ख़ामोश रहके दिल की सदा को सुनना बेहतर है।
हर बात ज़बाँ से कहके फ़साने जाया
नहीं करते।।
हमने भी कई बार कहा है
बहुत कुछ लोगों से लेकिन।
दिल के जख्मों को दिखाकर हम जाया नहीं करते।।
तन्हाई में जो आँसू गिरे हैं रूह की गहराई में।
वो राज़-ए-दिल किसी से मिलाके जाया नहीं करते।।
उल्फ़त के रास्ते में ख़ता कोई भी हो जाए अगर।
इज़्ज़त के सौदे हर बार
तौलकर जाया नहीं करते।।
मक़ता
'मेघ' की ख़ामोशी भी एक कहानी बयां करती है।
कुछ राज दिल के ज़ाहिर करके जाया नहीं करते।।
गुरुवार , २४/७/२५ , ४:४० PM
अजय सरदेसाई - मेघ