बुधवार २९/११/२३ , १:१५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
बुधवार २९/११/२३ , १:१५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
करते है आदाब और लेते है अक्सर सलाम भी।
ढुंढते है चैन के दो पल और कुछ आराम भी।।
आवाज़ें अक्सर पुकारती है मुझे पहाड़ों से।
पुकारती है कुछ सुबह और कुछ शाम भी।।
तेरे आने से बढ़ी है बहुत आज ज़ीनत-ए-महफ़िल।
कभी हम आपको देखते है और महफ़िल-ए-आम भी।।
इश्क़ अगर करना है मुज़से तो कीजिए बेबाक होकर हरदम।
ज़माने का लिहाज़ न आप रखो और न है निज़ाम मुझे भी ।।
रंगत तेरे चेहरे की जैसे शाम की लाली हो।
कभी उस शाम को देख़ते है और इस शाम को भी।।
शब्-ए-वस्ल है तन्हाई है और माहताब-ए-उल्फ़त भी है।
हम माहताब-ए-बाम देख़ते है और माहताब-ए-उल्फ़त भी।।
आदाब = नमस्कार
महफ़िल-ए-आम = gathering of the common people
बेबाक = निडर
निज़ाम = तौर,तरीका,दस्तूर , सिस्टम
शब्-ए-वस्ल = evening /night of lovers meeting or union
तन्हाई = अकेलापन
माहताब-ए-उल्फ़त = moon of love
माहताब-ए-बाम = moon of the sky
🦚 कौन हुं मैं 🦚
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शनिवार २५/११/२३
४:५४ PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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@ मैने फलक पर जब आफताब देखा @
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गुरुवार,२३/११/२३ , १०:५३ AM
अजय सरदेसाई (मेघ)
मंगलवार,२१/११/२३ ,११:३२ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
सोमवार २०/११/२०२३ , ०८:३० PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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वबाल = दुःख
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शनिवार , ११/११/२०२३ , ०३:१५ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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@@ तलाश हैं @@
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झुलस = जल जाना
मुख्तसर = छोटी
ख़्वाबीदा = सपने देखने वाला
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अजय सरदेसाई
शुक्रवार, ३/११/२०२३, ६:२४ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
ख़मील = बादलों का झुंड
जमिल= अत्याधिक सुंदर
क़ामिल = परिपुर्ण
शामिल = एकत्रित
रकिब = प्रतिस्पर्धी,प्रेमीका का दुसरे प्रेमी
फ़िराक़(१) = ख़याल
फ़िराक़(२) = विरह, जुदाई
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शुक्रवार,०३/११/२०२३, ०३:४० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)