मतला:
दाग दिल के मैं तुझे कैसे दिखाऊ।
घाव ये अंदर हैं, उन्हें बाहर कैसे दिखाऊ।।
दाग दिल के मैं तुझे कैसे दिखाऊ।
घाव ये अंदर हैं, उन्हें बाहर कैसे दिखाऊ।।
शेर 2:
रूह में अपनी दर्द छुपाया मैंने।
किसी और को ये जख्म मैं कैसे दिखाऊ।।
शेर 3:
तुम्हारे बिना हर खुशी अधूरी लगती है।
आँखों में भरा समंदर मैं कैसे दिखाऊ।।
शेर 4:
वक़्त के दरिया में बहती रही चाहत मेरी।
हर लहर की निशानी मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।।
शेर 5 (मक़ता):
मेघ बरसता है बरसात बनकर।
उन एहसासों को मैं तुम्हें कैसे दिखाऊ।।
बुधवार,३/९/२५ ,८:२५ AM
अजय सरदेसाई -मेघ
No comments:
Post a Comment