वक्त अपनी दस्तक देता जा रहा है उम्र पर।
जवानी अब ज़वाल और बुढ़ापा है उरुज पर ।।
वो हुस्न-ओ-जिस्म जिस पर तुम्हे गुरुर था कभी ।
हुस्न कु्म्हला गया है और जिस्म है ख़ुरूज पर ।।
ज़िन्दगी से चुरालो जितने लम्हे चुरा सको ।
ये लम्हे महगें है और मिलते है ब्याज पर।।
ये कमल जो सूरज सा खिला है बड़ा खूबसूरत है।
करिश्मा-ए-कुदरत है क्यों नाराज हो सिराज पर ।।
खुशियाँ मिली थी तुम्हे ज़िन्दगी से भरम मत रख।
मुफ्त न थी जानेमन सारी की सारी थी ख़राज पर ।।
ज़वाल = उतार, ह्रास , Ebb
उरुज = उत्थान , High
उरुज = उत्थान , High
गुरुर = अभिमान, अहंकार, घमंड, अकड़
कुम्हला = झुरना, सूखना, सुखाना , मुरझाना
ख़ुरूज = बगावत , rebellion
करिश्मा-ए-कुदरत = wonder of nature
सिराज = सूरज , Sun
ख़राज = कर , tax
कुम्हला = झुरना, सूखना, सुखाना , मुरझाना
ख़ुरूज = बगावत , rebellion
करिश्मा-ए-कुदरत = wonder of nature
सिराज = सूरज , Sun
ख़राज = कर , tax
गुरुवार, ०१/१२/२३ , ०१:३७ PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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