ऐ
जिन्दगी
कौन
किसे
जी
रहा
है
।
कौन
खुष
है
और
कौन
रो
रहा
है
।।
ये
लम्हे,पल
पल
गुजर
रहे
हैं
।
कौन
है
जो
इन्हे
पिरो
रहा
है
।।
कल,आज
और
कल
की
जो
कडी
है।
कौन
है
वो
जो
इसे
जोड
रहा
है।।
ये
कहानी
जो
तेरे
पटल
पे
चल
रही
है ।
न जाने कौन
है
वो
जो
इसे
लिख
रहा
है
।।
शुक्रवार,
८/१२/२०२३
, ८:३०
PM
अजय
सरदेसाई
(मेघ)
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