जाने क्या हालें दिल हम किसको सुनाएं जातें हैं I
वजूद का अहसास नहीं हमारे उन्हें पुकारे जाते हैं II
हर एक ग़म को तुम सितम मत समज लेना दर-अस्ल I
बहुत से सितम ऐसे भी हैं जो दिलसे गलें लगाएं जातें हैं II
जिंदगी युही ख़ाक-बसर होती है जुनून-ए-इश्क़ में दोस्तों I
हम है की लौ जलाए जातें है और वो चराग़ बुझाए जाते हैं II
एक हम हैं जो उनके लिए हर ग़म सह जाते हैं बे-तकल्लुफ़ I
और इक वो है जो हमारी नुक्ताचीनी फिर भी किए जाते हैं II
दिल भी क्या अजीब-ओ-ग़रीब चिज बनाई हैं ख़ुदा ने "मेघ" I
वो शिद्दत से तोड़ देते और हम है के फिर भी लगाए जाते है II
शनिवार, दिनांक ३०/०९/२०२३ , ४:४२ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
नुक्ताचीनी = आलोचना करना
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