दिल की किताबों में यु न झांको सुखे गुल मिलते हैं।
इसी राह पर आगे चलते रहो तो दिलजले मिलते हैं।।
तुम्हे अगर यहाँ मिलने से ऐतराज है तो कोई नहीं ।
जगए और भी है मिलने कि तुम जहाँ कहों वहीं मिलते हैं।
क्या तुमने देखा है उस जगह को चांदनी रात में।
आज भी चांदनी रात है चलो चलकर वहीं मिलते हैं।।
मौसम बड़ा खुश मिजाज है और वस्ल की रात है।
दुर वादियों में चलते हैं उस झिल के किनारे वहीं मिलते हैं।।
कुछ दुर साथ तुम चलो कुछ दुर साथ हम भी चलते हैं।
दुनिया बेशक कुछ भी कहें जहाँ कसक हो दिल वहीं मिलते हैं।।
बुधवार दिनांक १३/९/२०२३ , ११:१२ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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