दिल की गहराईयों में यु झांकने की कोशिश न करो
इसकी खामोश सदाओं में कहीं तुम खो न जाओ I
तुमको न कभी रास आएगी मिरि ये दरियादिली
न जाने कब सैलाब आए और कहीं तुम बह न जाओ I
जरूरत तो बहुत है मिरे दर्द-ए-दिल को तिरी जानाॅं
फिर भी जाना चाहो अगर तो फिर तुम चली जाओ I
गर हकिकत मैं बयां कर दू तो यक़ीनन डर जाओगी
सुने बगैर ही अगर जो जाना चाहो तो फिर चली जाओ I
मिरि ज़िन्दगी के किस्से बड़ी मुश्किल से समज पाओगी
अगर वक़्त नहीं है तुम्हारे पास तो फिर तुम चली जाओ I
शनिवार , दिनांक : ०८/०९/२०२३ , ०७:०१०
अजय सरदेसाई ( मेघ )
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