उस जहां की तलाश हैं जिसे ख्वाबों में देखा था।
हा ये वही हैं जिसे मैनें तिरी आँखों में देखा था ।।१।।
एक शख्स हैं जो मुझे ख्वाब बुन बुनकर देता हैं ।
मैंने उसे अक्सर बादलों के घर में देखा था ।।२।।
दिली तमन्ना हैं की फिर से बच्चा बन जाऊ।
क्या किसी ने उसे यह जादु भी करते देखा था ।।३।।
आया नहीं यहाँ मैं अपने मन से,भेजा गया हुं।
अपने लिए मैंने दुसरी दुनिया का ख्वाब देखा था ।।४।।
जिंदगी गर हैं तो सवाल भी बहुत होंगे "मेघ" ।
क्या किसी ने उसे उन सवालों के हल देते देखा था।।५।।
गुरुवार दिनांक १४/९/२३ , ५:३३ PM
अजय सरदेसाई (मेघ )
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