प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Friday 11 March 2022

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और ?


यह धरती यह सूरज यह चाँद यह सितारे

यह हवा यह पानी यह रोशनी यह चांदनी 

वह कौन है, जो इन्हे देख रहा है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह लोग जो अपने लगते है, मेरी चारों ओर है

यह लोग जो जागते है,सोते है,हँसते है, रोते है

वह कौन है, जो इन्हे जानता है, पहचानता है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

किसे होता है, यह हर्ष यह बिषाद यह प्रेम यह द्वेष?

किस की है, यह संवेदनाएँ, जो भितर से जगती है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह जो अजब सी बेचैनी महसूस हो रही है

वह कौन है, जो बेचैन है, और क्यों है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह चारों ओर जो दुनिया भरी दिख रही है

वह कौन है, जो इसका अंश है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

यह कश्मकश किसकी है, यह ख़याल किसे आते है?

वह कौन है, जो यह सब महसूस करता है?

क्या वह मै हूँ, या फिर कोई और?

क्या मै यह शरीर हूँ या कोई और जो इस शरीर में बैठा है ?

कौन है वह जो अंदर है , परमेश्वर !! या मै , या फिर कोई और ?


 गुरुवार दिनांक ११/३/२०२२ , :३३

अजय सरदेसाई ( मेघ )

No comments:

Post a Comment