प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
....

Sunday 5 May 2024

एक प्यार का नगमा है (new verses)

 



एक प्यार का नगमा है

(new verses)


एक प्यार का नगमा है

मौजों की रवानी है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है  (मुखड़ा)

 

तूम साथ दो मेरा

चलना मुझे आता है

हर राग से वाकिफ हूं

गाना मुझे आता है

 

सुरों के समंदर से

एक धून ही चुरानी है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है  - १

 

यु दूर जाना तूम

वापस यही आना है

मुझसे छुपते हो क्यों

अब ये ही ठिकाना है

 

छोटीसी  दुनियां में

एक घर भी बसाना है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है  -

 

तुम भुलना चाहो भी

क्या भुल भी पाओगी

दो पल जो साथ चले

उन्हे कैसे भुलाओगे

 

तडपाओ जो तुम इतना

फिर जान तो जानी है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है  -३

 

ये जो काला बादल है

वो बरसकर ही जाएगा

जिवन का वो सपना तो

बिखरकर ही जाएगा

 

हर टूटे हुए दिल की

बस यही कहानी है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है -४

 

ये सामने है जो पल

न होगा अगले पल

जिवन का भरोसा क्या

है आज नही ये कल

 

ऐसे ही जिवन से

जिन्दगी एक बनानी है

जिन्दगी और कुछ भी नहीं

तेरी मेरी कहानी है  -५

 

 

रविवार  //२०२४   ,  ०१:३० PM

अजय सरदेसाई (मेघ)


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