दुनियां तिरे दस्तुर
बड़े निराले हैं।
जिस
तरफ देखु,छिपे दर्द निराले हैं।।
इंसान
के होंठों पर मुस्कान तो है।
हर
दिल में मगर बसें तूफां निराले हैं।।
कल
की फ़िक्र है मगर चहरे पर दिखाते नहीं।
हर
फ़िक्र को धुवें में उड़ानें के अंदाज निराले हैं।।
एक
नई चुनौती लेकर मिलती हो तुम हर पल।
ज़िन्दगी,
मगर हम भी चुनौती बाज निराले हैं।।
वक्त, ज्यु सिकुड़ लेता हूँ मैं अपनी आंखों में।
देखो
मिरे ख़यालों के ढंग बड़े निराले हैं।।
आसमाँ
मैं बादल तो सैकड़ो नज़र आते है।
मगर
बरसते है जो ,बादल वह निराले है।।
ईश्वर
तू है भी या नहीं,यह सवाल सताता है अक्सर।
फिर
भी लोग पूजते है तुझे,तिरे रूप निराले निराले है।।
शनिवार
, २१/०९/२०२४ , १५:१५ PM
अजय
सरदेसाई (मेघ)
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