प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Friday 13 September 2024

चलो पतंग उड़ाएं!

ये अंतिम संस्कार के एक हफ्ते बाद की बात है। उसने अपने मेहनती बैंक प्रबंधक पती को दफनाया था, उसका प्रिय पती जिसने दिन रात एक करकर कड़ी मेहनत से उनका छोटा सा घर-परिवार सवारा था । एक मामूली क्लर्क से बैंक मैनेजर तक के पद पर पहुंचा था,अपने दोनों बच्चों को कॉलेज और विदेश में नौकरियों तक पहुंचाया था, और उसे एक संपूर्ण और आरामदायक जीवन दिया था। 

अंतिम संस्कार के एक हफ्ते बाद, जब वह उसके कागजात और फाइलें ढूंढ़ने के लिए उसकी अलमारी में गई, तो उसने एक गुप्त दराज देखी  ।कांपते हुए हातों से वह उसे खोल रही थी। वह अपने पती  के बारे में कोई ऐसा राज़ नहीं जानना चाहती थी जो उसकी यादों को खराब करे, एक ऐसा व्यक्ति जिसने उसे एक ठोस, भरोसेमंद और मेहनती पती के रूप में जाना था।  

लेकिन उसने वह गुप्त दराज खोली । उसे कुछ हल्का और कागज़ जैसा महसूस हुआ, फिर धीरे-धीरे, सावधानी से उसने एक नहीं, दो नहीं बल्कि दर्जनभर पतंगें निकालीं। वे बिल्कुल नई थीं, जैसे अभी-अभी दुकान से लाई गई हों, और उन पतंगों को देखकर उसकी आँखों में आँसू आ गए।

 

"एक दिन," पतीने उससे कहा था, "मेरे पास समय होगा की  मैं छत पर पतंगें उड़ाऊं!"

"क्या तुमने पहले भी पतंगें उड़ाई हैं?" उसने पूछा था।

"जब मैं छोटा था, तब मुझे उनसे प्यार था," उसने कहा था, "मुझे आसमान में पतंग उड़ाना और उसे राजा की तरह ऊँचा लहराता देखना बहुत पसंद था!"

"तो तुम इस रविवार को क्यों नहीं उड़ाते?" उसने पूछा था।

"ओवरटाइम!" उसने कहा था, "पर शायद अगले रविवार या उसके बाद आने वाली छुट्टी में!"

वह उन कागज़ी पतंगोंको को छूते हुए बहुत रोई। वह उस मृत व्यक्ति के सपनों के बारे में सोच रही थी जो कभी पतंग उड़ाने का साधारण सा आनंद भी अपनी व्यस्तता के कारण न ले सका। वह व्यस्त रहा ताकी अपने परिवार की सारी मांगे और इच्छाओं की पूर्तता कर सके।

अगले दिन उसके बेटे घर आए। उन्होंने पतंगों को बैठक की दीवार पर लगा देखा, "माँ," उन्होंने विरोध किया, "यह जश्न मनाने का समय नहीं है, यह शोक का समय है!"

"हाँ," उसने कहा, "मुझे पता है, और इसीलिए मैंने उन्हें यहाँ लगाया है!"

उन्होंने कागज़ को महसूस किया, उन्होंने सुंदर डिज़ाइनों को देखा और अपनी माँ की बातों को सुना, जब माँ ने उन्हें बताया की उसे वे पतंगे  कहाँ से मिली थीं। बच्चों की आँखों में आँसू आ गए, जब उन्होंने अपने पिता और उन पतंगों के बारे में सोचा जो वह कभी न उड़ा पाए

"माँ! मैं एक पतंग अपने घर ले जाना चाहता हूँ!" बड़े बेटे ने कहा।

"और मुझे भी एक अपने घर के लिए चाहिए," छोटे ने कहा।

उसने उन्हें पतंगें दे दीं, और उसका दिल प्रसन्न हो गया जब अगले हफ्ते उन्होंने उसे फोन किया,

"हम तुम्हें लेने आ रहे हैं, माँ, हम वीकेंड में कैंपिंग पर जा रहे हैं!"

"कैंपिंग?" उसने पूछा, "मैंने कभी कैंपिंग नहीं की!"

"हमने भी नहीं, लेकिन यही वह पतंग है जिसे हम उड़ाना चाहते हैं, माँ। चलो चलें!"

वह मुस्कुराई जब वे पहाड़ों की ओर कार चला रहे थे, उसने पीछे अपने छोटे बेटे की कार को देखा, और जब उसने खिड़की से बाहर देखा, तो उसे ऐसा लगा कि वह अपने पती को देख रही है, हँसते हुए, पतंग उड़ाते हुए, और उसे हवा में ऊँचा उड़ते हुए देख रही है, जैसे वह राजा हो।

अलमारी में बंद उसकी उदास पतंगों ने उसके बेटों की पतंगें आसमान में उड़ा दीं।

और तुम, मेरे दोस्त? क्या तुम्हारी पतंगें भी अलमारी में ही  मिलेंगी, या वह आसमान में  उड़ेंगी?

अपने सपनों का पीछा करो! जो तुम चाहते हो वो हर चीज कर लो जब तक तुम कर सकते हो। यदि नहीं, तो बहुत देर हो सकती है। कई ऐसी चीजें होती हैं जो हम करना या कहना चाहते हैं, लेकिन विलंब उन सपनों और इच्छाओं को धुंधला कर देता है, और वे तुम्हारे साथ इस दुनिया को छोड़ कर चली जतिन है।

 

चलो पतंग उड़ाएं!
🙂🙂🙂🙂🙂🙂😊😊🪁🪁🪁🪁

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