आज कल किसी भी बात से मैं हैरान नहीं I
ऐ खुदा तेरी इस जि॑दगी से कौन परेशान नहीं I
केहने को तु खुदा है पर तेरी फितरत पर मुझे शक है I
क्यों किसी मासुम को भी इस गुरबत से कोई छुटकारा नहीं I
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माना के तेरे रेहमोकरम पर जिते है हम सभी I
इस तरह उसे जताने का यह सबब तो नाही I
तेरे खुदा होने का तारुख भी हमसे ही तो है I
तुम होकर भी न रहोगे खुदा अगर इस दुनिया में हम नहीं I
हर शक्स को यह हक है के हम पुकारे तुझे I
मगर भुले तो याद दिलाने का यह सबब ठिक नहीं I
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सितम तुम्हारे खुशीसे सहलु I
न फरियाद कोई करु , अपने लब सिलु I
लेकिन ऐ खुदा यह तो बता के आखिर माजरा क्या है?
जुस्तजु तेरी हर बशर को है I
तु रुबरु है मगर बसर में नहीं I
तेरे होने किआहट दिल सुनता तो है I
तु असर में भी है मगर नजर में नहीं I
ऐ खुदा यह तो बता के आखिर ये माजरा क्या है?
मेघ
५/५/२१ ३:०० PM
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