इस ख़ुश-फ़हमी में न रहो के चुप रहोगे तो कम्बख्त
बच जाओगे,
मैंने देखा है अक्सर खामोश ही पहले कटा
करते है।
क्यों की कटते हुए भी वो कभी आवाज़ नहीं करते है,
बस चुपचाप हलाल होते है,चुपचाप हलाल होते है।
वो आंख मुंदे बैठे है इस झुठी तसल्ली में की कुछ दिखा नहीं,
वो ही पहले होंगे जो गले निकाल रो रहे होंगे के कुछ बचा नहीं।
फुल गर मिल रहे है तो कांटों को नजर अंदाज न करना,
अक्सर एक कांटा भी नासुर बनाने की फितरत रखता है।
मैं तो चाहूंगा की दिल को तुम जरुर खुला रखना साहब,
मगर नसीहत भी दूंगा के आंखों को भी तुम निगेहबान रखना
।
अम्रित का प्याला अगर बेवजह ही थमाया जाए हातों में,
कही वो जहर तो नहीं इसे पहले सत्यापित करना।
तुम कहोगे की इतनी भी इत्माद आपको क्यों नहीं जनाब ,
क्यों की हम ने भाईचारे को भी चारा बनकर जलते देखा है।
मासूम न बनो और न रहो कभी ,यह जमाना ठीक नहीं,
यहाँ मैंने मासूमियत का अक्सर क़त्ल होते देखा है।
क्यों की कटते हुए भी वो कभी आवाज़ नहीं करते है,
वो आंख मुंदे बैठे है इस झुठी तसल्ली में की कुछ दिखा नहीं,
फुल गर मिल रहे है तो कांटों को नजर अंदाज न करना,
मैं तो चाहूंगा की दिल को तुम जरुर खुला रखना साहब,
अम्रित का प्याला अगर बेवजह ही थमाया जाए हातों में,
तुम कहोगे की इतनी भी इत्माद आपको क्यों नहीं जनाब ,
मासूम न बनो और न रहो कभी ,यह जमाना ठीक नहीं,
मंगलवार , ०१/०१०/२०२४
, १६:२० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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