प्रस्तावना

मला कविता करावीशी वाटते , पण जी कविता मला अभिप्रेत आहे , ती कधीच कागदावर अवतरली नाही . ती मनातच उरते , जन्माच्या प्रतीक्षेत ! कारण कधी शब्दच उणे पडतात तर कधी प्रतिभा उणी पडते .म्हणून हा कवितेचा प्रयास सतत करत असतो ...........
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून
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Thursday, 19 October 2023

मैं नादान जरुर हुॅं


मैं नादान जरुर हुॅं जनाब लेकिन इतना भी नादान नहीं।
ये मत समझो के आपके इरादे क्या हैं ये मैं जानता नहीं।।

दिल मेरा जरा कमजोर है हसिनाओ के मुआमले में।
मगर ये न समझो  दुश्मनों के लिए मेरे दिल में फौलाद नहीं।।

मैं तो चला जा रहा था अपनी राह पर मस्त होकर।
औरों की राह क्या हैं इससे मुझे कोई सरोकार नहीं।।

कुछ नहीं होता धरती का सिना चिरकर फसल बोनेसे।
जब तक बारिश नहीं होती हैं कोई खेत संवरता नहीं।।

यु तो चेहरे पर नकाब पहनकर सब हंस लेते हैं यहॉं ।
वर्ना कौन हैं यहॉं जो दर्द-ए-पिन्हाँ से परेशान नहीं।।

दर्द-ए-पिन्हाँ - छुपा हुआ दर्द , Hidden Pain.

गुरुवार, दिनांक १९/१०/२०२३, ५:५४ PM
अजय सरदेसाई (मेघ) 

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