तेरे कमाल का मुरीद हु ऐ ख़ुदा क्या जलवा बना रख्खा है।
ये क्या कर दिया तूने मुझ पे ये कैसा जादू डाल रख्खा है ।।१ ।।
मैं कहीं भी रहूं इस दुनिया में बेशक मगर ।
तुने मुझे अपनी निगाहों में हमेशा रख्खा है ।।२ ।।
जो हैसियत बादशाहों को भी नहीं हासिल ।
तुने मुझे उस मकाम पर ला रख्खा है ।। ३।।
किसी को दौलत से किसी को शोहरत से नवाज़ा है I
तेरे करम है ख़ुदा के तूने मुझे दोस्तों से नवाज़ रक्खा है ।। ४ ।।
अपनी इनायतों की पनाहों में शामिल रख मुझे।
जैसे अपने बंदों को तुने जन्नत में रख्खा है ।। ५ ।।
अब यही आरज़ू है की तेरे दीदार हो जाए ।
इसी आरज़ू में ऐ ख़ुदा मेरा जुनून रख्खा है ।। ६ I।
तेरा वजूद कब का मिट गया होता "मेघ"।
उसकी रहमतोंने तुझे पाल रख्खा है ।। ७ ।।
मंगलवार ,१०/१०/२०२३ , १०:५६ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
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