यह लम्हे यह पल गुजरते जा रहे है I
वक़्त हातोंसे फिसलता जा रहा है I
कहते है के बीता वक़्त रुकता नहीं है I
मगर मैंने इसे यादों की दराज़ों में जखड़ रखा है I
इन दराज़ों से कभीं कभीं आवाजें आती है I
कभी सुनहरी सुबह तो कोई श्याम मुझे पुकारती है I
उन यादों में फिर मैं खो जाता हूँ I
बीते पलों को फिर से जी लेता हूँ I
बीते पलों को फिर से जी लेता हूँ ......
- मेघ -
शनिवार ,५/३/२०२२ ,
१२:१५ PM
इन यादों में जब भी झांकता हूँ
बीतें वक़्त की तस्वीरें देखता हूँ I
बीते पलों की दराज़ों में
गुजरे वक़्त का खुमार देखता हूँ I
ख़ूब तदबीर निकाली है मनाने की दिलको
अब मैं रोज़ रंगीन नज़ारें देखता हूँ I
मेरे शिकंजे से न कभी छूटे है गुजरे पल I
मैं इन्हे यादों की दराज़ों में कैद रखता हूँ I
अब यादों में ही बनाया है मैंने आशियाना मेरा I
ज़िन्दगी मैं तुझे अब वहीँ से देखता हूँ I
- मेघ -
शनिवार ,५/३/२०२२ ,
०१:१० PM
एक शब हल्की सी जुम्बिश मुझे महसूस हुई
मैं ये समझा मिरे शानों को
गदगदा रहा है कोई I
रुखों पर हल्की सी नमी मुझे
महसूस हुई
यादों का एक कारवाँ गुजर गया था कोई I
शब् - night
जुम्बिश - movement
मिरे शानों - my shoulders
नमी- wetness
रुखों पर - my cheeks ,गलों पर
कारवाँ - काफिला ,group
- मेघ -
शनिवार ,५/३/२०२२ ,
०५:५० PM
यह वक्त का दरिया है।
जिंदगी के तिनकों से बना है।
भरलो पैमाने में यादों के कुछ पल।
न जाने क्या किसके नसिब में
आता है।
-मेघ-
शनिवार,५/३/२०२२
०६:२६ PM
रफ़्तार वक़्त की थमती
नहीं किसीके लिए I
कुछ
यादें तो समेटों मुस्तक़बिल के लिए I
किसने
देखा है आने वाला कल कैसे होगा I
यादों
के यहीं पश्मीने गर्माहट देंगे ,काम आएंगे I
इन्हे जतन करलो ज़िंदगीकी सर्द खिजाओं के लिए I
रफ़्तार
– speed
थमती
– stops
समेटों
– gather
मुस्तक़बिल
– for future
पश्मीने
– warm shawls
जतन
- सुरक्षित रखना
, save
सर्द
– cold
खिजा
– autumn , fall season
-मेघ-
शनिवार,५/३/२०२२
०७:२६ PM
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