फलक से उतरी है तारों
की महफ़िलझील में जले है ज्यू
चिराग़ तुम देखो ।यह नज़ारा मुख़्तसर
ही सही लेकिनआँखों से इसे दिलमे
उतारकर तो देखो ।सुकून-ए-रूह-ओ-ज़ेहन
मिलती है ऐ "मेघ"जरा तुम कुदरत की ये
करिश्माई तो देखो ।
अजय सरदेसाई (मेघ)
सोमवार,
०७/०३/२०२२
०६:००
PM
सुकून-ए-रूह-ओ-ज़ेहन - peace of soul and mind
अजय सरदेसाई (मेघ)
सोमवार,
०७/०३/२०२२
०६:००
PM
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