इम्तेहान तो बेहतरीन लिए तू ने ऐ ज़िन्दगी ।
इनसे ही तो जीनेका सुरूर बनता है ।
मैं डरा नहीं ,मैं थमा नहीं ,मैं टुटा नहीं ।
यहीं मिरे आईना-ए-किरदार-ए-गुरुर बनता है ।
इनसे ही तो जीनेका सुरूर बनता है ।
मैं डरा नहीं ,मैं थमा नहीं ,मैं टुटा नहीं ।
यहीं मिरे आईना-ए-किरदार-ए-गुरुर बनता है ।
इम्तेहान – tests , परीक्षा
सुरूर - नशा
आईना-ए-किरदार – mirror of character
गुरुर – pride
-अजय सरदेसाई (मेघ)-
शनिवार , ५/३/२०२२
राहों में कई इम्तेहान आते रहे I
ज़िन्दगी में ये संग-ए-मिल गुजरते रहे I
बड़ा कठिन रहा ये सफर मगर I
ज़िन्दगी हम तिरे साथ चलते रहे I
संग-ए-मिल - मिल का पत्थर , milestone
-अजय सरदेसाई (मेघ)-
शनिवार , ५/३/२०२२
०९: ३५ PM
ज़िन्दगी एक और जाम हो जाए ।
एक दौर और इम्तेहान का हो जाए ।
तुमने बहुत की है बेवफाई यां हम से ।
अब एक दौर का वफ़ा भी तो हो जाए ।
अजय सरदेसाई (मेघ)
शनिवार , ५/३/२०२२
०९:४५ PM
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