मा'रिफ़त तुम्हारी ए खुदा मुझे कैसे होगी ?
अपनी हि जात
कि इरफ़ाँ
जिसे
न होगी
!
तिरी पर्दा-दारी है मल्हूज़-ए-ख़ातिर
तुझे दिल की आँखों से हम देखते हैं
मिरे पिंडार-ए-इबादत का
कुछ तो
गुमान
कर
मिटा चिलमन-ए-जहालत ,दिखा जमाल-ए-जलवा-गुस्तर
मेघ
१/९/२०२१ , १२:५० PM
मा'रिफ़त - ईश्वर का ज्ञान knowledge
अपनी हि जात - अपने आप को ( who am I )
इरफ़ाँ होना
– ज्ञान होना , get to know ,
understand
पर्दा-दारी - छूपना
, प्रकट न होना , invisibility
मल्हूज़-ए-ख़ातिर - borne in mind , अपने
जेहेंन में है
मिरे - mine
पिंडार-ए-इबादत - आराधना कि गौरव , भक्ती
का अभिमान
गुमान करना - अनुमान
करना , कल्पना करना, विचार करना, बारे में सोचना
चिलमन-ए-जहालत - अज्ञान का पर्दा , veil of ignorance
जमाल-ए-जलवा-गुस्तर - अपने (सच्चे , असली ) स्वरूप को प्रकट कर
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