उसकी मू-ए-मिज़ा में भी है सौ तूफ़ाँ
न उसकी तर्ज़-ए-ख़मोशी पर जाना
बस इक नजर से हि शहर-ए-दिल लूट जाए
न उसकी सदगी-ए-रुख़ पर जाना
-मेघ-
२५/८/२०२१ , १२:३० PM
मू-ए-मिज़ा - डोळ्या॑च्या पापण्या
तर्ज़-ए-ख़मोशी - शा॑ततेची ढब , लकब (style)
शहर-ए-दिल - हॄदय ( heart )
सदगी-ए-रुख़ - चेहऱ्यावर ची निरागसता
No comments:
Post a Comment