प्रस्तावना
तिला जन्म देण्यासाठी , रूप देण्यासाठी ,शरीर देण्यासाठी ......
तिला कल्पनेतून बाहेर पडायचे आहे म्हणून ....
Thursday, 28 November 2024
Ruins -The City of Silence
शहर-ए-ख़ामोश
ख़ामोशी के साए में, गुम एक जहान है,
न गली है,न कली, न कोई गुलिस्तां है।
देखें थे जो ख्वाब सभी मिट गए एक साथ ,
देखो कैसे ज़िंदगी का हर नक़्शा बेज़ुबान है।
चिराग़ जो जलते थे, अब बुझ चुके सभी,
सन्नाटों का मेला है,दोस्त ये कब्रस्तान है।
जिन रास्तों पर क़दमों की आहटें थीं,
वो राहें भी अब जैसे बेनिशान हैं।
शहर-ए-ख़ामोश, तुझसे कोई शिकवा नहीं,
अब कोई दर्द नहीं यहां और न इम्तिहान है।
कहीं न कोई सदा, न कोई पुकार है,
इस वीराने का बस यही गुमान है।
आ, बैठ ले कुछ देर इन खंडहरों के पास,
न जाने किस पत्थर में छुपी कौन सी दास्तान है।
सोमवार , २५/११/२०२४ , ०६:१५ AM
अजय सरदेसाई (मेघ)
Thursday, 31 October 2024
ऋणानुबंधाच्या जिथुन पडल्या गाठी
ऋणानुबंधाच्या जिथुन पडल्या गाठी
भेटींत तृष्टता मोठी
ती एकाकी सांज उमटली क्षितीजा वरती
तुझ्या डोळ्यातींल निळायी पसरली सागर तटी
मनांत कैक विचारांनी केली एकाचं दाटी
तिरकस कटाक्ष टाकत झटकली तू हनुवटी
ऋणानुबंधाच्या जिथुन पडल्या गाठी
भेटीत तृष्टता मोठी
वाटे वारा होऊन बेभान असेच वाहावे
अंगास तुझ्या मी बिलगून स्पर्शावे
रागास तुझ्या भुर्रकन उडवून न्यावे
तुझ्या डोळ्यांत मी अलवार हरवून जावे
ऋणानुबंधाच्या जिथुन पडल्या गाठी
भेटीत तृष्टता मोठी
डोळ्यांतून पाऊस गेला कधीच बरसून
मेघ ही गरजला तेव्हा,झाले रिते माझे मन
चालतांना
मी पुळणीवर,मागे पहिले वळून
जाणे कोणाची पाऊले येत होती मागून
ऋणानुबंधाच्या जिथुन पडल्या गाठी
भेटीत तृष्टता मोठी
मंगळवार २२/१०/२०२४ ,१०.१७ PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
Tuesday, 8 October 2024
आइने में अपना अक्स देखा
आइने में अपना अक्स देखा,न जाने कौन नज़र आया।
अब मैं क्या कहूं मुझे और क्या क्या नज़र आया।।
कहते है लोग के आइना झूठ बोलता नहीं।
सच कहता हु मगर मुझे सब कुछ झूठ नज़र आया।।
ढूंढ़ता रहा मैं उसे हर जगह शिद्दत से।
खुदा मुझे कहीं नज़र नहीं आया।।
सोचता हूँ के ढूँढू उसे अब आसमाँ में।
इन्सां मुझे जमीं पर नज़र नहीं आया।।
अभी कुछ साल ही बीते थे मुझे मुल्क छोड़कर।
लौटा तो हर शख्स अजनबी नज़र आया।।
मंगलवार , ०८/१०/२०२४ , २२:५० PM
अजय सरदेसाई (मेघ)
Friday, 4 October 2024
Peace
Thursday,
04/10/2024 , 18:00 PM
Ajay Sardesai (Megh)
वे तो बस मुस्लमान थे